Baba Khatu: श्री कृष्ण से जुड़ा है मंदिर का इतिहास, श्याम को ‘शीश दानी’ क्यों कहते हैं
Baba Khatu: हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा इस नाम से कौन वाकिफ नहीं होगा बाबा खाटू को कई और नामों से बुलाया जाता है इन्हें जैसे शीश के दा....

Baba Khatu: हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा इस नाम से कौन वाकिफ नहीं होगा बाबा खाटू को कई और नामों से बुलाया जाता है इन्हें जैसे शीश के दानी, लोगो का सहारा या यूँ कहे की हारे का सहारा
राजस्थान के सीकर स्तिथ प्रसिद्ध खाटू श्याम मंदिर के पट 15 जनवरी के बाद खुलेंगे मंदिर विस्तार की वजह से श्याम बाबा का मंदिर 13 नवंबर से बंद है सीकर जिला कलेक्टर अमित यादव ने मंदिर विस्तार की तैयारी को लेकर समीक्षा की…. कलेक्टर ने मंदिर कमेटी को 15 जनवरी तक तैयारी पूरी करने के निर्देश दिए है. जिला कलेक्टर 15 जनवरी से व्यवस्थाओं को लेकर रिव्यू करेंगे.
खाटू श्याम से जुड़ी कुछ ऐतहासिक कहानिया: Baba Khatu
- हम महाभारत से जुड़ी बाबा खाटू की पोरारिणक कथाओ को तो जानते ही है.
- लेकिन बाबा खाटू श्याम से जुड़ी कुछ ऐतहासिक कहानिया भी है.
- खाटू श्याम के इतिहास में बताया जाता है कि पहले खाटू श्याम जी का नाम बर्बरीक था।
- वह बलवान गदाधारी भीम और सर्प कन्या मौरवी के पुत्र थे।
- उनमें बचपन से ही एक वीर योद्धा बनने के सभी गुण थे।
- उन्होंने युद्ध कला अपनी माता और श्री कृष्ण से सीखी थी।
- भगवान शिव की घोर तपस्या कर तीन बाण प्राप्त किए।
- ये तीन बाण उसे तीनों लोकों में विजयी बनाने के लिए पर्याप्त थे.
- श्री खाटू श्याम में श्याम के रूप में पूजे जाने वाले वीर बर्बरीक अपने भक्तों में ‘हारे का सहारा’ नाम से भी प्रसिद्ध हैं.
- भगवान कृष्ण के भक्तों का मानना है कि भगवान हमेशा शुद्ध हृदय वाले लोगों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
मंदिर का निर्माण राजा रूपसिंह और उनकी पत्नी ने करवाया था: Baba Khatu
माना जाता है कि मंदिर का निर्माण राजा रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर ने करवाया था. रूप सिंह का एक सपना था जिसमें उन्हें खाटू के एक कुंड से श्याम शीश निकालकर मंदिर बनाने के लिए कहा गया था. उसी कुंड को बाद में ‘श्यामा कुंड’ के नाम से जाना जाने लगा
- एक मान्यता यह भी है की करीब 1000 साल पहले एकादशी के दिन बाबा का शीश श्यामकुंड में मिला था.
- यहां पर कुएं के पास एक पीपल का बड़ा पेड़ था.
- यहां पर आकर गायों का दूध apne aap ही निकलने लगता था.
- गायों के दूध देने से गांव वाले हैरत में थे.
- गांव वालों ने जब उस जगह पर खुदाई की तो बाबा श्याम का शीश मिला था.
- शीश को चौहान वंश की रानी नर्मदा कंवर को सौंप दिया गया,
- बाद में विक्रम संवत 1084 में इस शीश की स्थापना मंदिर में की गई उस दिन देवउठनी एकादशी थी.
- भक्त इस पवित्र तालाब में इस विश्वास के साथ पवित्र स्नान करते हैं
- कि यह स्नान उन्हें सभी रोगों और संक्रमणों से छुटकारा दिलाएगा.
अभयसिंह द्वारा 1720 के आसपास पुनर्निर्मित की गई है: Baba Khatu
मंदिर की वर्तमान वास्तुकला दीवान अभयसिंह द्वारा 1720 के आसपास पुनर्निर्मित की गई है. भगवान बर्बरीक, जिन्हें वर्तमान समय (कलियुग) का देवता माना जाता है. यहां भगवान श्रीकृष्ण के रूप में उनकी पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में जरूरतमंदों के सहायक के रूप में पूजनीय भगवान खाटू श्याम यहां निवास करते हैं और अपने भक्तों की सभी प्रार्थनाओं का पूर्ण करने के लिए प्रसिद्ध हैं.