Delhi Liquor Policy Case: आबकारी नीति का पूरा मामला क्या है? दिल्ली के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया हुए गिरफ्तार
Delhi Liquor Policy Case: केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 2021-22 की नई आबकारी नीति लागू करने के मामले में कथित भ्रष्टाचार को लेकर मनीष सिसोदिया...

Delhi Liquor Policy Case: केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 2021-22 की नई आबकारी नीति लागू करने के मामले में कथित भ्रष्टाचार को लेकर मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की है। सबूत मिटाने, खातों में हेरफेर, भ्रष्टाचार, अनुचित लाभ देने और लेने का आरोप लगाया गया है।
भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो दिल्ली सरकार ने अपनी नई नीति को ही वापस ले लिया: Delhi Liquor Policy Case
मामले में जब भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो दिल्ली सरकार ने अपनी नई नीति को ही वापस ले लिया और फिर से निजी हाथों की जगह सरकारी निगमों को शराब बिक्री करने की इजाजत दे गई। यानी कि पूरी योजना को ही सरकार ने वापस ले लिया था। तब से विपक्ष यह सवाल उठा रहा था कि जब आबकारी नीति में भ्रष्टाचार नहीं हुआ था तो पूरी योजना क्यों वापस लेने पर सरकार मजबूर हुई। दाल में कहीं न कहीं काला तो है।
दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति 2021-22 पेश की थी। सरकार इस नई नीति के जरिए शराब खरीदने और बेचने का अलग अनुभव देना चाहती थी ग्राहको को शराब की खरीददारी में सुविधा और गुणवत्ता के साथ साथ सरकारी फायदे को बढाने के लिए सरकारी निगमों से बिक्री के अधिकार लेकर निजी हाथों में सौंप दिया गया। होटल के बार, क्लब व रेस्टोरेंट को रात तीन बजे तक शराब परोसने की छूट कुछ नियमों के तहत थी। रेस्टोरेंट व अन्य जगहों के छत व खुली जगह पर शराब परोसने की अनुमति दी गई थी। उपभोक्ता की पसंद को जहां तवज्जो दी गई थी, वहीं दुकानदारों को अपने हिसाब से छूट देने का प्रावधान था। इस वजह से ‘एक बोतल पर एक बोतल मुफ्त’ का भी लाभ दिया गया।
उठा था सवाल
आबकारी की नई नीति के तहत दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया था। 16 विक्रेताओं को पूरी दिल्ली में वितरण का जिम्मा दिया गया था। विपक्षियों का आरोप था कि इसमें भ्रष्टाचार हो रहा है। नई नीति को अदालत में भी चुनौती दी गई। विपक्ष का कहना था कि टेंडर की शर्तों के हिसाब से कॉर्टल यानी दो-तीन कंपनियों को एक करने की मंजूरी नहीं थी।
टेंडर के हिसाब से ब्लैक लिस्टेड कंपनी को अनुमति नहीं थी, लेकिन दिल्ली में एक कंपनी को दो जोन वितरण के लिए दे दिए गए। हालांकि सरकार का कहना है कि नई आबकारी नीति का मकसद भ्रष्टाचार नहीं था। लोगों को उचित प्रतिस्पर्धा के तहत शराब लोगों को मुहैया करानी थी। दिल्ली में शराब माफिया और कालाबाजारी को खत्म करना था। इसके साथ ही सरकार का राजस्व बढ़ाना था। शराब खरीदने वालों की शिकायत भी दूर करनी थी।
Delhi Liquor Policy Case: उपराज्यपाल के आदेश के बाद सीबीआई ने की पहल
आबकारी नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। प्राथमिकी में नामजद 15 व्यक्तियों और संस्थाओं में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का नाम भी शामिल किया गया था। सीबीआई इस मामले में कई नौकरशाह के घर पर छापेमारी की थी। मनीष सिसोदिया से भी कई बार इस संबंध में पूछताछ की गई थी।
- 17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति लागू की थी।जिसके तहत
- दिल्ली में शराब की दुकान खोलने के लिए 32 जोन बनाए गए थे।
- हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खोलने की थी मंजूरी।
- दिल्ली में नीति लागू होने के बाद कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थीं।
- सरकार का तर्क था कि इससे राजस्व में 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा।
- कोरोना काल में नुकसान की भरपाई के नाम पर 144.36 करोड़ की लाइसेंस फीस माफ की गई।
- आरोप था कि लाइसेंस फीस को बढ़ाए बगैर लाइसेंस धारकों को लाभ पहुंचाने के लिए पहले कार्यकाल एक अप्रैल 2022 से बढ़ाकर 31 मई 2022 तक किया गया। इसके बाद फिर एक जून 2022 से बढ़ाकर 31 जुलाई 2022 तक किया गया।
- निर्णय लेने में राज्यपाल कार्यालय से किसी तरह की मंजूरी नहीं ली गई। कैबिनेट की बैठक बुलाकर ही निर्णय ले लिया गया।
- यह भी सामने आया कि राजस्व बढ़ने की बजाए इसमें काफी कमी आई।
- टेंडर दस्तावेजों के प्रावधानों को हल्का करके रिटेल लाइसेंसियों को वित्तीय फायदा पहुंचाया। ईडी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता को फंसाने का भी आरोप लगा जांच में यह दावा किया गया कि नीति से सरकार को 2,800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।