Foreign Minister: पाकिस्तान दुनिया कीआतंकवादी गतिविधियों का केंद्र
Foreign Minister: पाकिस्तान दुनिया कीआतंकवादी गतिविधियों का केंद्र

Foreign Minister: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को दुनिया की आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र बताया है।
- उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद को मदद मुहैया कराता है.
- और भारतीय संसद और मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार है।
- एक यूरोपीय टेलीविजन चैनल को दिए इंटरव्यू में विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्तान को लेकर यूरोपीय देशों की चुप्पी पर भी प्रश्न उठाए।
- उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियां लगातार जारी हैं.
- और आतंकियों को सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता है।
यूक्रेन संघर्ष: Foreign Minister
जयशंकर ने रूस यूक्रेन संघर्ष के बीच साक्षात्कार में कहा कि भारत गठबंधन की नीति पर विश्वास नहीं रखता। एक स्वायत्त देश होने के नाते रूस सहित विभिन्न देशों से संबंध रखता है, जिसकी अपनी पृष्ठभूमि है। आगे उन्होंने रूस और चीन के साथ संबंधों को लेकर भारत की स्थिति स्पष्ट की। जयशंकर ने पाकिस्तान की आतंकवाद को बढ़ावा देने की नीति की कठोर शब्दों में निंदा की।
रूस के साथ भारत के संबंध
- विदेश मंत्री ने एक पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि रूस के साथ भारत के संबंध हैं.
- जिनकी एक पृष्ठभूमि है।
- पश्चिमी लोकतंत्र एक समय पाकिस्तान की सैन्य तानाशाही को सैन्य साजो-सामान मुहैया कराते थे.
- और भारत से दूरी बनाते थे।
- उसी दौरान रूस भारत को हथियार देता था।
- यह संबंध आज भी बरकरार है।
- हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट किया कि रूस के साथ भारत का कोई गठबंधन नहीं है।
- भारत की अपनी एक स्वतंत्र सोच है.
- जिसे वह समय-समय पर दुनिया के सामने स्पष्ट करता रहता है।
सैन्य जमावड़ा
चीन के संबंध में विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच एक समझ बनी थी कि सीमा पर सैन्य जमावड़ा नहीं किया जाएगा। आज के तकनीकी युग में सेटेलाइट से ली जाने वाली तस्वीरों से स्पष्ट हो जाता है कि कहां पर सैन्य जमावड़ा है और कब तैनाती की गई है। अफसोस है कि चीन ने दोनों देशों के बीच बनी सहमति का अनुपालन नहीं किया।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच समझौता था कि यथास्थिति में एक-तरफा बदलाव नहीं किया जाएगा। चीन ने स्थिति को बदलने की कोशिश की। इससे दोनों देशों के बीच सैन्य तनातनी है।
एस जयशंकर ने इस विषय को उठाया की दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश बनने जा रहे भारत को संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता प्राप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि मुख्य समस्या यह है कि जिन लोगों के पास वर्तमान में स्थायी सदस्यता है. वह संयुक्त राष्ट्र में जल्दी बदलाव नहीं चाहते।