Ramcharit Manas: किसी भी धर्म में किसी को गाली देने का कोई अधिकार नहीं है-स्वामी प्रसाद मौर्य
Ramcharit Manas: रामचरित मानस पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि ‘किसी भी धर्म में किसी को गाली देने का कोई अधिकार नहीं है...

Ramcharit Manas: उत्तर प्रदेश में ‘रामचरितमानस’ पर विवादित बयान काफी चर्चा में है और चर्चा का विषय है भाजपा से भागे हुए नेता जो फिलहाल सपा के पनाह में पल रहे है यानि कि स्वामी प्रसाद मौर्य । पिछले दिनो बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव ने जिस तरह की टिप्पणियाँ रामचरित मानस को लेकर की थी ठीक उसी राग में स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी आलाप लगाई है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने ‘रामचरितमानस’ पर विवादित बयान दिया: Ramcharit Manas
स्वामी प्रसाद मौर्य ने ‘रामचरितमानस’ पर विवादित बयान दिया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि “रामचरितमानस के कुछ अंश जाति के आधार पर समाज के एक बड़े वर्ग का अपमान करते हैं” और इसे “बैन” किया जाना चाहिए। साथ ही सपा नेतास्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने दरबार को लेकर चर्चा में आए बाबा बागेश्वर धीरेंद्र शास्त्री पर भी हल्ला बोल दिया , स्वामी ने कहा कि अगर सारा उपचार बाबा के पास है तो सारे मेडिकल कॉलेज बंद कर देना चाहिए. सरकार बाबा बागेश्वर की हां में हां मिलाकर अंधविश्वास को बढ़ावा दे रही है. बाबा भांग खाकर समाज का बेड़ा गर्क कर रहा है. उन्होंने कहा कि यह बाबा ढकोसले कर अंधविश्वास पैदा कर रहे हैं ।
रामचरित मानस पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि ‘किसी भी धर्म में किसी को गाली देने का कोई अधिकार नहीं है. तुलसीदास की रामायण की एक चौपाई है, जिसमें वह शूद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं. ब्राह्मण भले ही लंपट, दुराचारी, अनपढ़ और गंवार हो, लेकिन उसे पूजनीय बताया है, लेकिन शूद्र ज्ञानी, विद्वान हो फिर भी उसका सम्मान मत करिए. स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि ‘अगर यही धर्म है तो ऐसे धर्म को मैं नमस्कार करता हूं. ऐसे धर्म का सत्यानाश हो, जो हमारा सत्यानाश चाहता हो.’ । मौर्य ने कहा है कि ”इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। इस बयान के बाद से बवाल मचा हुआ है ।
भाजपा ने यह मांग की है कि वह माफी मांगें और अपना बयान वापस लें
हालांकि समाजवादी पार्टी ने मौर्य के इस बयान से पल्ला झाड लिया है और कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत टिप्पणी थी, साथ ही भाजपा ने यह मांग की है कि वह माफी मांगें और अपना बयान वापस लें। स्वामीप्रसाद मौर्य ने इसके बाद कहा कि , “धर्म मानवता के कल्याण और इसे मजबूत करने के लिए है।” मौर्य की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए सपा प्रवक्ता फखरूल हसन ने कहा, समाजवादी पार्टी सभी धर्मों और परंपराओं का सम्मान करती है। उन्होंने कहा, “स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा दिया गया बयान उनकी व्यक्तिगत टिप्पणी है, और इसका सपा से कोई लेना-देना नहीं है। सपा युवाओं, बेरोजगारों और महिलाओं के लिए आवाज उठाती है।” मतलब साफ है कि सपा भी मौर्य के इस बयान में शामिल होकर अपनी किरकिरी नहीं कराना चाहती थी
रामचरित मानस अवधी भाषा में लिखा हुआ महाकाव्य है
रामचरिमानस और सनातन धर्म में आस्था रखने वाले अनेक लोग ही इस बात को लेकर उग्र हो गए है । पिछले दिनों बिहार के शिक्षा मंत्री ने भी यह कहा था कि मनुस्मृति और रामचरित मानस समाज को तोडते है साथ ही यह भी कहा था कि मानस के कुछ छंद विवादित है जिसमें सबसे ज्यादा चर्चा रामचरितमानस के सुंदर कांड के ”ढ़ोल ,गंवार, शूद्र, पशु, नारी सकल ताडना के अधिकारी ”उस दोहे के बारे में कहा गया था ।
पर सवाल यह भी है कि रामचरित मानस के अर्थो को अपने शब्दों में तोड मरोडकर या बिना पूर्ण सत्य समझे अपनी इच्छा के अनुसार इस तरह के अर्थ समझ लेना कौन सी बुद्धिमानी है। यहाँ यह जानना भी आवश्यक है कि रामचरित मानस अवधी भाषा में लिखा हुआ महाकाव्य है जिसमें संस्कृत के साथ साथ और भी अनेक प्रकार से भाषा और व्याकरण की गूढ़ जानकारियां शामिल है। तो ऐसे में बात यह है कि क्या आज के नेता और मंत्री जिस तरह से इन ग्रंथो के ऊपर उंगलियाँ उठा रहे है तो क्या उनकी पात्रता इतनी है कि भारत के महान संत और भाषाविद तुलसीदास जी के काव्य पर कटाक्ष कर सकें यह सोचने वाला गंभीर प्रश्न है।