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SKS Power-1900 Crore: रायगढ़-एसकेएस पावर 19सौ करोड़ रुपये के कर्ज में डूबा
SKS Power-1900 Crore: रायगढ़-एसकेएस पावर 19सौ करोड़ रुपये के कर्ज में डूबा

SKS Power-1900 Crore: रायगढ़ और जांजगीर-चांपा की सीमा में स्थापित 600 मेगावॉट का अपना कर्ज नहीं चुका पाया है।
- लगातार बढ़ते कर्ज के कारण मुनाफा घटता गया।
- बैंक ऑफ बड़ौदा और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के करीब 1875 करोड़ रुपये एसकेएस पावर पर बकाया हैं।
- बाकी ऑपरेशनल क्रेडिटर्स और कर्मचारियों का भुगतान मिलाकर बकाया राशि ढाई हजार करोड़ से भी अधिक है।
- कर्ज नहीं चुका पाने के बाद कंपनी को दिवालिया घोषित कर प्रकरण एनसीएलटी में दायर कर दिया गया था।
- रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल के जरिए कंपनी को नीलाम किया जा रहा है।
मिली जानकारी के मुताबिक सात दिग्गज कंपनियों ने दावा ठोका है। इसमें मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी रिलायंस, गौतम अडाणी की कंपनी अडाणी पावर, नवीन जिंदल की जिंदल पावर, सार्वजनिक उपक्रम एनटीपीसी, सारडा एनर्जी एंड मिनरल्स, टोरेंट पावर और सिंगापुर के वैंटेज प्वाइंट एसेट कंपनी ने बोली लगाई है। मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज और गौतम अडाणी के अडाणी पावर के बीच एक और कारोबारी जंग होने जा रही है।
बकाया राशि: SKS Power-1900 Crore
- फिलहाल एसकेएस पावर जेनेरेशन के संचालन का जिम्मा बैंकों ने एनटीपीसी को दिया है।
- बैंक ऑफ बड़ौदा ने उचित खरीदार मिल जाने तक एनटीपीसी को इसे संभालने और मेंटेन रखने की जिम्मेदारी सौंपी है।
- एसकेएस पावर जेनरेशन के पावर प्लांट को बैंक ऑफ बड़ौदा ने पिछले साल हांगकांग की…
- लिस्टेड कंपनी एग्रीट्रेड रिसोर्सेज को वन टाइम सैटलमेंट के तहत सौंप दिया था।
- लेकिन यह कंपनी भी प्लांट नहीं चला पाई।
- इसके बाद कंपनी को बेचने के लिए बोली आमंत्रित की गई थी।
- राशि में रायगढ़, रायपुर, बिलासपुर आदि के कई प्लांट, कोल वाशरी, ट्रेडर्स और ट्रांसपोर्टरों की राशि भी है।
- उल्लेखनीय है कि एसकेएस पावर जेनरेशन पर सबसे ज्यादा बैंक ऑफ बड़ौदा का करीब 1740 करोड़ रुपये बकाया है।
- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का भी 135 करोड़ का कर्ज बाकी है।
- इस तरह छग सरकार और केंद्र सरकार के एजेंसियों का भी करीब 430 करोड़ बकाया है.
- जिसमें जीएसटी, कस्टम ड्यूटी आदि की राशि है।
- इसके अलावा 1400 करोड़ के अनसिक्योर्ड लोन और अन्य क्लेम रिजेक्ट भी कर दिए गए हैं।
- अब कंपनियों के बोलियों को वित्तीय मापदंडों पर परखा जाएगा।
- किसी को चुनने से पहले दावेदार कंपनियों से और डिटेल मांगी जा सकती है।
- इससे पहले भी डेडलाइन को 4 बार बढ़ाया जा चुका है।