Vijayapriya Nithyananda: कौन हैं विजयप्रिया? क्या कैलासा देश को UN ने मान्यता दे दी है
Vijayapriya Nithyananda: सोशल मीडिया पर इन दिनों संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की एक तस्वीर खूब वायरल हो रही है। इसमें एक महिला भगवा कपड़ा...

Vijayapriya Nithyananda: सोशल मीडिया पर इन दिनों संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की एक तस्वीर खूब वायरल हो रही है। इसमें एक महिला भगवा कपड़ा पहने, गले में रूद्राक्ष की माला डाले और साध्वी की तरह जूड़ा रखे दिख रही है। ये महिला कोई और नहीं, बल्कि भारत के भगौड़े नित्यानंद की शिष्या है। जिसने संयुक्त राष्ट्र में भारत की जमकर निंदा की है और यू एन में यह आरोप भी लगाया है कि नित्यानंद को भारत में प्रताडित किया जा रहा है आप को बता दें कि नित्यानंद पर भारत में बच्चों के यौन शोषण के अलावा और भी कई गंभीर आरोप लगे है। यहां से भागने के बाद नित्यानंद ने दक्षिण अमेरिकी देश इक्वाडोर के पास एक टापू खरीदा और उसे एक ‘हिंदू राष्ट्र’ घोषित कर दिया। इस देश का नाम ‘द यूनाइटेड नेशन कैलासा’ रखा है।
नित्यानंद की वायरल हो रही शिष्या का नाम विजयप्रिया नित्यानंद: Vijayapriya Nithyananda
नित्यानंद की वायरल हो रही शिष्या का नाम विजयप्रिया नित्यानंद है। पहले दावा किया गया था कि विजयप्रिया संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में कैलासा की स्थायी प्रतिनिधि हैं। आइए जानते हैं आखिर ये विजयप्रिया हैं कौन? क्या वाकई में कैलासा देश को यूएन ने मान्यता दे दी है?
विजयप्रिया नित्यानंद को जानने से पहले नित्यानंद को जान लीजिए। नित्यानंद का नाम राजशेखर है। इसने खुद को भगवान का दर्जा दे रखा है। ये मूल रूप से तमिलनाडु के थिरुनामलाई का रहने वाला है। नित्यानंद पर रेप, बच्चों के अपहरण समेत कई मामले दर्ज हैं। 2019 में नित्यानंद देश छोड़कर भाग गया और अमेरिकी देश इक्वाडोर के पास एक टापू खरीदकर उसे एक अलग देश घोषित कर दिया। इस देश का नाम ‘द यूनाइटेड नेशन कैलासा’ रखा है। नित्यानंद का कहना है कि कैलासा हिंदुओं का राष्ट्र है।
अब विजयप्रिया नित्यानंद का वो बयान जान लीजिए, जिससे वह चर्चा में आईं
दो दिन पहले जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) में एक बैठक के दौरान विजयप्रिया नित्यानंद और उसके कई सहयोगी यू एन के सोशल एंड कल्चरल राइट्स में अपना भाषण दिया केवल इतना ही नहीं यूएन की सभा में सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDGs) । विजयप्रिया ने इस दौरान भारत के खिलाफ खूब जहर उगला।
संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार समिति (CESCR) द्वारा आयोजित चर्चा के दौरान विजयप्रिया ने अपनी बात रखी और “हिंदू धर्म के सर्वोच्च धर्माध्यक्ष” के लिए सुरक्षा की मांग की। कहा कि हिंदू धर्म की प्राचीन परंपराओं को पुनर्जीवित करने के लिए नित्यानंद का उत्पीड़न किया जा रहा है और उन्हें उनके जन्म के देश में प्रतिबंधित कर दिया गया है।
साड़ी एवं पगड़ी पहने और गहनों से लदी विजयप्रिया नित्यानंद ने संयुक्त राष्ट्र की बैठक में ‘संयुक्त राज्य कैलासा की स्थायी राजदूत’ के रूप में अपना परिचय दिया। हालांकि, बाद में संयुक्त राष्ट्र ने साफ कर दिया कि विजयप्रिया ने कार्यक्रम में एक एनजीओ के तौर पर शिरकत की थी।
Vijayapriya Nithyananda: संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने कहा
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि वो जिनेवा में हुए उसके दो कार्यक्रमों में एक भगोड़े भारतीय गुरु के काल्पनिक देश के प्रतिनिधि की बातों को नजरअंदाज करेगा। संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने कहा है कि जिन विषयों पर बैठक में चर्चा हो रही थी उसके हिसाब से प्रतिनिधि का भाषण अप्रासंगिक था।
विजयप्रिया नित्यानंद के फेसबुक प्रोफाइल के अनुसार, वह वाशिंगटन में रहती हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर अपलोड की गई उनकी तस्वीरों में विजयप्रिया के दाहिने हाथ पर नित्यानंद का बड़ा टैटू देखा जा सकता है। विजयप्रिया के लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, उन्होंने मैनिटोबा विश्वविद्यालय से माइक्रोबायोलॉजी में बीएससी ऑनर्स किया। वह जून 2014 में विश्वविद्यालय के डीन सम्मान सूची में शामिल थीं। लिंक्डइन प्रोफाइल में आगे उल्लेख है कि विजयप्रिया चार भाषाओं- अंग्रेजी, फ्रेंच, हिंदी, क्रियोल और पिजिन (फ्रेंच-आधारित) जानती हैं।
बाद में अपने बयान पर विजयप्रिया ने सफाई भी दी
भारत के खिलाफ दिए गए बयान का जब विरोध शुरू हुआ तो पहले संयुक्त राष्ट्र संघ और फिर खुद विजयप्रिया ने सफाई पेश की। विजयप्रिया ने एक वीडियो के जरिए अपनी बात रखी। कहा कि संयुक्त राज्य कैलासा भारत को उच्च सम्मान देता है और भारत को अपने गुरुपीडम के रूप में मानता है
क्या नित्यानंद के देश को वाकई यूएन ने मान्यता दे दी है?
इसे जानने के लिए हमने यूएन की वेबसाइट चेक की। जिसमें कैलासा का कोई जिक्र नहीं है। विजयप्रिया के बयान पर जब विवाद हुआ तो संयुक्त राष्ट्र ने भी जो बयान जारी किया उसमें कैलासा को ‘काल्पनिक देश’ कहकर संबोधित किया। मतलब साफ है कि संयुक्त राष्ट्र की तरफ से कैलासा को कोई मान्यता नहीं दी गई है और न ही विजयप्रिया को यूएन में स्थायी प्रतिनिधि का दर्जा दिया गया है।